सीबीआई ने मणिपुर हिंसा से संबंधित परस्पर दो मामलों में दो अलग-अलग आरोपपत्र दायर किए

सीबीआई  ने मणिपुर हिंसा से संबंधित परस्पर दो मामलों में पांच आरोपियों के विरुद्ध  मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कामरूप (एम), गुवाहाटी (असम) की अदालत में दो अलग-अलग आरोप पत्र दायर किए।

सीबीआई ने मणिपुर सरकार के अनुरोध पर दिनाँक 23.08.2023 को मामला दर्ज किया एवं पूर्व में एक नाबालिग लड़के के विरुद्ध  शिकायत के आधार पर पुलिस स्टेशन, इंफाल में दर्ज प्राथमिकी संख्या  584(7)2023, दिनांक 08.07.2023 की जांच को अपने हाथों में लिया। यह आरोप है  कि शिकायतकर्ता की नाबालिग बेटी दिनाँक 06.07.2023 से लापता थी एवं उसकी सहमति के बिना उससे शादी करने के उद्देश्य  से उक्त नाबालिग लड़के ने उसका अपहरण कर लिया था।

    वहीं दूसरी ओर, उक्त लड़के के पिता ने भी लाम्फेल पुलिस स्टेशन, जिला इंफाल पश्चिम में अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध,  संख्या 1009(7)2023, दिनांक 19.07.2023 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनका बेटा, जिसकी उम्र लगभग 17 वर्ष है, दिनांक 06.07.2023 की सुबह अपने घर से बाइक पर निकला था व  तब से वह वापस नहीं आया। यह भी  आरोप लगाया  कि उसका अपहरण कर लिया गया होगा। मणिपुर  सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने दिनाँक 23.08.2023 को इस मामले की जांच को भी अपने हाथों में लिया।

परस्पर-संबंधित दोनों मामलों (समान परिस्थितियों से उत्पन्न) की जांच से पता चला कि दिनाँक 06.07.2023 की सुबह, लड़का, नाबालिग लड़की की ट्यूशन क्लास में गया एवं  उसे अपनी बाइक पर पीछे की सीट पर बिठाया तथा  आगे बिष्णुपुर की ओर बढ़ गया और वहां से पुराने कछार रोड पर थास व्यू प्वाइंट क्षेत्र तक बढ़ गया। उस स्थान पर, लड़के व लड़की को आरोपियों ने रोक लिया एवं पीड़ितों (लड़का और लड़की) को जबरन एक वाहन में डाल दिया और बंधक बना लिया। उन्हें एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया एवं  बाद में संदिग्ध रूप से उनकी हत्या कर दी गई। जांच के दौरान चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया एवं  वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

सीबीआई ने दोनों मामलों में पांचों आरोपियों के विरुद्ध  आरोप पत्र दायर किया। इस मामले में  आगे की जांच जारी है।

जनमानस को याद रहे कि उपर्युक्त निष्कर्ष सीबीआई द्वारा की गई जांच एवं उसके द्वारा एकत्र किए गए सबूतों पर आधारित हैं। भारतीय कानून के तहत, आरोपियों को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक कि निष्पक्ष सुनवाई के पश्चात उनका अपराध सिद्ध नहीं हो जाता। 02-01-2024

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